November 27, 2014

बेवफ़ा उसे न कहो


ये और बात है, के लगता आज बेपरवाह  है वो,
के हवा दी थी उसी ने, इन मुहब्बत के जज़्बों को।

आज उसके किये वादे की कीमत कुछ नहीं है तो,
दिलबर था वो मेरा, अब बुरा उसे न कहो।

के याद मुझे करके, रोता है तन्हाई में वो,
यकीन नहीं है ग़र, तो चलो फ़र्ज़ ही कर लो।

के अपनी किन्हीं मजबूरियों का क़ैदी है वो,
साथ छोड़ गया है मेरा, तो बेवफ़ा उसे न कहो।

बहुत मुश्किल है मिटाना दाग़, दिल हो या दमन हो,
न दाग़ बेवफाई का, दो उसके दमन को।

November 12, 2014

जो छू कर गुज़रती है मुझे


जो छू कर गुज़रती है मुझे, हवा,
आँचल तेरा भी छू जाती तो होगी।
के याद करता है तुझे हर घड़ी कोई,
कानों में तेरे कह जाती तो होगी।

सिहर उठता हूँ बारिश की जिन चंद बूँदों से मैं,
तेरे दामन में भी मोती यादों  के भर जाती तो होंगी।
जो तड़प के बरस उठती हैं आँगन में मेरे, घटा,
आँगन तेरा भी अश्को से भिगो जाती तो होंगी।

काँप उठती है जिनके छूने से कायनाथ मेरी,
होठों को तेरे भी यादें वो थरथराती तो होंगी।
जो सिसकती, मचलती हैं मेरे आसमाँ में बिजलियाँ,
रोशन तेरे घर को कहीं कर जाती तो होंगी।

जो जलाती, है चिराग निगाहों में उम्मीद के मेरी, चांदनी,
तेरे दिल को भी सुकूँ दे जाती तो होगी।
जिनसे रौशन है हर घड़ी दुनिया मेरी, यादें ,
चिराग दिल में तेरे भी जला जाती तो होंगी।